Sports

लेबल

Random Posts

{getBlock} $results={5} $label={Music} $type={block1} $color={#F64E4E}

Advertise

Recent Posts

Recent comments

लेबल

There are many variations of passages of Lorem Ipsum available.

Popular Posts

Recent Comments

Technology

Fashion

Gallery

Most Popular

Storman के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.

शुक्रवार, 26 मार्च 2021

वाराणसी: मणिकर्णिका घाट पर जलती चिताओं के बीच खेली गई भस्म से होली, जानिए इसके पीछे की प्रचलित मान्यताएं

चिता की भस्म से होली खेलने के पीछे एक प्राचीन मान्यता है कि वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर रंग भरी एकादशी के दूसरी के दिन भगवान शंकर यहां चिता भस्म की होली खेलने आते थे.

भारत के मुख्य त्योहारों में शुमार होली का जश्न शुरू हो गया है. देशभर में होली का त्योहार बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. हालांकि, होली मनाने के तरीके और परपंराएं देश के अधिकतर हिस्सों में काफी अलग-अलग होती हैं. होली कहीं रंगों से, कहीं फूलों से तो कहीं जलती चिताओं के बीच चिता की भस्म से खेलने का रिवाज है. वहीं, काशी में होली की शुरुआत रंगभरी एकादशी से ही हो जाती है.

माना जाता है कि बसंत पंचमी को जब भगवान शंकर का तिलक होता है तो इसके बाद से ही बनारस में होली का उत्सव शुरू हो जाता है. इसके बाद शिवरात्रि के दिन उनका विवाह होता है. मान्यता है कि जब भगवान विश्वनाथ मां पार्वती का गौना कराकर काशी पहुंचे तो उन्होंने देवता, यक्ष आदि लोगों के साथ मिलकर होली खेली थी, लेकिन वो अपने प्रिय गण जैसे भूत, प्रेत और पिशाच के  साथ होली नहीं खेल पाए थे. इसलिए वे दूसरे दिन श्मशान घाट पर आते हैं और जमकर होली खेलते हैं.
See more...

0 on: "वाराणसी: मणिकर्णिका घाट पर जलती चिताओं के बीच खेली गई भस्म से होली, जानिए इसके पीछे की प्रचलित मान्यताएं"

Popular Post List